महाशिवरात्रि पूजा एवं बम भोले खप्पर पूजन
Maiya ji ka Paramdham
719, Nai Basti, Katra Neel
27 फ़रवरी, 2025
बम भोले खप्पर पूजन: सुबह 8:00 बजे
भोले बाबा का कढ़ी चावल का भोग-प्रसाद वितरण : गुरुवार सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक
माँ भवना वाली-माँ दिल्ली वाली के भवन में महाशिवरात्रि का भजन कीर्तन 26 फ़रवरी, 2025 को दोपहर 2 बजे से होगा।
भजन कीर्तन और उसकी अवधि प्रभु इच्छा के अनुसार होगी।
जय मैया की जय बाबा की
महाशिवरात्रि पर पूजा-आरती का समय:
26 फ़रवरी, 2025
रात्रि प्रथम प्रहर की पूजा – शाम 6:30 बजे
रात्रि द्वितीय प्रहर की पूजा – रात 9:30 बजे
27 फ़रवरी, 2025
रात्रि तृतीय प्रहर की पूजा – सुबह 01:00 बजे
रात्रि चतुर्थ प्रहर की पूजा – सुबह 6:00
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शिव पार्वती का विवाह शिवरात्रि को नहीं हुआ था, इस दिन लिंग रूप में प्रकट हुए थे महादेव। विद्वानों का मानना है कि शिवलिंग में शिव और पार्वती दोनों समाहित हैं, दोनों ही एक साथ पहली बार इस स्वरूप में प्रकट हुए थे, इस कारण महाशिवरात्रि को भी शिव-पार्वती विवाह की तिथि के रूप में मनाया जाता है।
यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव व पत्नी पार्वती की पूजा होती हैं। यह पूजा व्रत रखने के दौरान की जाती है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है|महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है| महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।